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विपरीत राजयोग: जानें इसके प्रकार और महत्व

By December 24, 2022December 4th, 2023No Comments
Viprit Rajyog

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में राजयोग सकारात्मक प्रभाव देता है। इस समय जातकों को घर, गाड़ी आदि की प्राप्ति होती है। परन्तु कभी कभी जातक को विपरीत राजयोग का भी सामना करना पड़ता है। यह बहुत लम्बे समय तक नहीं रहता है परन्तु इस दौरान जातक को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

विपरीत राजयोग क्या है ?

विपरीत राजयोग का अर्थ – विपरीत राजयोग वैदिक ज्योतिष के सबसे गूढ़ राजयोगों में से एक है। नकारात्मक भावों वाले ग्रहों के सम्मलेन से बनने वाले योग को विपरीत राजयोग कहा जाता है। दुष्ट भावों के स्वामी ग्रह इस योग का कारण बनते हैं। जिन जातकों की कुंडली में यह योग बनता है उन्हें कष्टों का सामना करना पड़ता है।

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जानें विपरीत राजयोग हिंदी में

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सरल शब्दों में विपरीत राजयोग का अर्थ – जब कुंडली में छठे भाव का स्वामी आठवें या बारहवें भाव में हो अथवा आठवें भाव का स्वामी छठे या बारहवें भाव में स्थित हो अथवा बारहवें भाव का स्वामी छठे या आठवें भाव में हो। तब विपरीत राजयोग देखा जा सकता है।

विपरीत राजयोग के प्रकार क्या हैं ?

ज्योतिष शास्त्र में विपरीत राजयोग के तीन प्रकार होते हैं – हर्ष, सरल और विमल।

Kundli

जानें हर्ष योग के बारे में

जब जातक की कुंडली में छठे भाव का स्वामी अष्टम या बारहवें भाव में प्रवेश करता है, तब हर्ष योग बनता है। हर्ष योग के लाभ से जातक को स्वस्थ शरीर, समाज में मान-सम्मान, सुखी पारिवारिक जीवन आदि मिलता है। जब छठे भाव का स्वामी छठे भाव में ही रहता है, तब हर्ष योग नहीं बनता। इस स्तिथि में विपरीत राजयोग हो जाता है। और विपरीत हर्ष राजयोग से जातक को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।

जानें सरल राजयोग के विषय में

जब जातक की कुंडली में अष्टम भाव का स्वामी छठे या बारहवें भाव में स्थित होता है तब सरल योग बनता है। राजयोग कुंडली में होने से जातक को धन, बुद्धि, शक्ति, अच्छा चरित्र आदि सब प्राप्त होता है। वहीं जब अष्टम भाव का स्वामी अष्टम भाव में ही रहता है, तब सरल योग नहीं बनता। परिणामस्वरुप विपरीत राजयोग उत्पन्न हो जाता है जो जातक के लिए हानिकारक साबित होता है।

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विमल राजयोग क्या होता है ?

कुंडली में बारहवें भाव का स्वामी जब छठे या आठवें भाव में स्थित होता है तब विमल राजयोग की स्थिति बनती है। विमल योग के सुखद प्रभाव इस प्रकार हैं – आध्यात्मिक उन्नति, धन-दौलत में वृद्धि आदि। मान्यता है कि जब द्वादश भाव का स्वामी द्वादश भाव में ही स्थित रहता है तब विपरीत विमल राजयोग बनता है। इसके प्रभाव से जातक को तनाव, अवसाद आदि हो सकता है।

विपरीत राजयोग का फल कब मिलता है ?

यदि कोई जातक कुंडली में विपरीत परिस्थितियां का भी सामना कर लेता है तब उसे विपरीत राजयोग का फल मिलता है। समस्त मुसीबत और कठिनाइयों को पार करके जो साधक नयी उपलब्धियां हासिल करता है, उसे विपरीत राजयोग का सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है।

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जानें विपरीत राजयोग के तीनों प्रकारों के फायदे

  • हर्ष विपरीत राजयोग जातकों को स्वस्थ शरीर और भाग्य प्रदान करता है। विपरीत राजयोग के व्यक्ति को एक ऐसे नेता के रूप में देखा जाता है, जो विरोधियों पर विजय प्राप्त करता है। इस प्रक्रिया में वह अपार प्रसिद्धि और गौरव भी प्राप्त करता है।
  • सरल विपरीत राजयोग जातक को ज्ञान और शक्ति प्रदान करता है। यह व्यक्ति को कठिनाइयों को हल करने की क्षमता भी देता है।
  • विमल विपरीत राजयोग जातक को समाज में मान-सम्मान और धन संग्रह करने में सहायता करता है। यह व्यक्ति को जीवन के पार्टी आध्यात्मिक दृष्टिकोण भी प्रदान करता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –

1. विपरीत राजयोग क्या है?

विपरीत राजयोग का अर्थ – विपरीत राजयोग वैदिक ज्योतिष के सबसे गूढ़ राजयोगों में से एक है। नकारात्मक भावों वाले ग्रहों के सम्मेलन से बनने वाले योग को विपरीत राजयोग कहा जाता है। दुष्ट भावों के स्वामी ग्रह इस योग का कारण बनते हैं।

2. विपरीत राजयोग का फल कब मिलता है?

समस्त मुसीबत और कठिनाइयों को पार करके जो साधक नयी उपलब्धियां हासिल करता है, उसे विपरीत राजयोग का सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है।

3. विपरीत राजयोग के प्रकार कितने होते हैं?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विपरीत राजयोग के तीन प्रकार होते हैं – हर्ष, सरल और विमल।

4. विपरीत राजयोग हिंदी में क्या होता है?

जब कुंडली में छठे भाव का स्वामी आठवें या बारहवें भाव में हो अथवा आठवें भाव का स्वामी छठे या बारहवें भाव में स्थित हो अथवा बारहवें भाव का स्वामी छठे या आठवें भाव में हो। तब विपरीत राजयोग देखा जा सकता है।

5. तीनों प्रकार का विपरीत राजयोग कुंडली में होने से जातक को क्या प्रभाव पड़ता है ?

हर्ष विपरीत राजयोग से जातक स्वस्थ रहते हैं।सरल विपरीत राजयोग होने से जातक ज्ञानी और शक्तिशाली होते है।विमल विपरीत राजयोग होने से जातक को समाज में मान-सम्मान और धन मिलता है।

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Yashika Gupta

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