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मासिक दुर्गाष्टमी 2023: जानें तिथियां और महत्व

By January 11, 2023December 5th, 2023No Comments
Mashik DurgaAshtmi

प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का उपवास किया जाता है। इस दिन माँ दुर्गा की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। दुर्गा अष्टमी के दिन साधक दुर्गा माता के लिए व्रत भी करते हैं।

दुर्गा अष्टमी तिथि

मुख्य रूप से अश्विन माह में नौ दिन के शारदीय नवरात्रि उत्सव के दौरान दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। जिसे महाष्टमी भी कहते हैं। इसके अतिरिक्त हर माह में शुक्ल अष्टमी के दिन मासिक दुर्गाष्टमी आती है। आइये इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषियों से जानते हैं वर्ष 2023 की मासिक दुर्गा अष्टमी तिथि।

Durga Ashtmi Tithi

वर्ष 2023 की दुर्गा अष्टमी तिथि

जनवरी 29, 2023, रविवार पौष
फरवरी 27, 2023, सोमवार फाल्गुन
मार्च 29, 2023, बुधवार चैत्र
अप्रैल 28, 2023, शुक्रवार वैशाख
मई 28, 2023, रविवार ज्येष्ठ
जून 26, 2023, सोमवार आषाढ़
जुलाई 26, 2023, बुधवार श्रवण
अगस्त 24, 2023, बृहस्पतिवार श्रवण
सितंबर 23, 2023, शनिवार भाद्रपद
अक्टूबर 22, 2023, रविवार अश्विन
नवम्बर 20, 2023, सोमवार कार्तिक
दिसम्बर 20, 2023, बुधवार मार्गशीर्ष

मासिक दुर्गा अष्टमी का महत्व

दुर्गाष्टमी हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक विशेष त्यौहार है।
यह पर्व राक्षसों का संहार करने के लिए देवी दुर्गा के गुणों का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है।
माँ दुर्गा के दृढ़ संकल्प और शक्ति को दर्शाने वाली दुर्गा अष्टमी पर भारत की अनेक महिलाएं व्रत और पूजा करती हैं।
देवी दुर्गा की रचना का श्रेय भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) को दिया जाता है।

Lord Shiva,Lord Vishnu & Brahmma

मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत करने के लाभ

  • जो साधक इस दिन उपवास रखते उन्हें माँ दुर्गा से समृद्धि, सफलता और शांति का वरदान प्राप्त होता है।
  • इस व्रत का पालन करने से साधक क्रोध, अहंकार, आत्म-केन्द्रित आदि गुणों का त्याग कर देता है।

शुक्ल अष्टमी के दिन अस्त्र पूजन

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में दुर्गा अष्टमी के दिन अस्त्र पूजा का आयोजन किया जाता है। माँ दुर्गा के वीरतापूर्ण कार्यों के सम्मान में हथियारों की पूजा की जाती है। इसलिए, इस विशेष दिन को वीरा अष्टमी भी कहा जाता है।

Astra Puja Organized

दुर्गा अष्टमी के दिन करें कन्या पूजन

  • नारीत्व के अर्थ और प्रासंगिकता का जश्न मनाने के लिए अष्टमी के पावन पर्व पर कन्या पूजन का उत्सव मनाया जाता है। यह आमतौर पर उत्तर भारत में मनाया जाने वाला उत्सव है।
  • 6-12 वर्ष की छोटी लड़कियों को घर पर आमंत्रित करके उन्हें भोजन कराया जाता है। आमतौर पर भोजन में और चना, हलवा और पूरी होता है।
  • माँ दुर्गा के सम्मान के रूप में युवा लड़कियों के पैर धुलते हैं। फिर लड़कियों के माथे पर तिलक लगाते हैं और उन्हें भेंट दी जाती है।
  • हिंदू धर्म में कन्या को देवी दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। इसलिए दुर्गा अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना चाहिए।

दुर्गा अष्टमी की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में असुर नामक राक्षस को एक पुत्र हुआ। जिसका नाम था – महिषासुर।
महिषासुर के मन में अमर होने की प्रबल इच्छा थी। इसके लिए उसने ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की। महिषासुर की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे मनचाहा वरदान मांगने को कहा। तब महिषासुर ने अमर होने का वर माँगा।

इस पर ब्रह्मा जी बोले, अमरता जैसी कोई बात का अस्तित्व नहीं होता है। जन्म के बाद मृत्यु और मृत्यु के बाद जन्म निश्चित है। तब महिषासुर ने वरदान माँगा कि उसकी मृत्यु किसी स्त्री के हाथ से ही हो। स्त्री के अतिरिक्त अन्य कोई दैत्य, मानव या देवता, कोई भी उसका वध ना कर पाए।
ब्रह्मा जी द्वारा वरदान पाते ही महिषासुर अहंकार से अंधा हो गया। उसने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया। महिषासुर से परेशान होकर सभी देवी-देवता माँ शक्ति से सहायता माँगने पहुँचे।

मां दुर्गा ने महिषासुर से भयंकर युद्ध किया। देवी दुर्गा ने अपने चक्र से महिषासुर का सिर काटते हुए उसका वध कर दिया। उस दिन मां भगवती ने धरती को महिषासुर के पापों से मुक्ति दिलाई थी। अतः उस दिन से दुर्गा अष्टमी का पर्व प्रारम्भ हुआ।

Mahisasur Ka Shir Katate Huye Durga Mata

मासिक दुर्गाष्टमी के दिन ध्यान देने योग्य बातें

  • प्रातः काल दुर्गा मंदिर जाकर माँ दुर्गा की विधिपूर्वक पूजा करें।
  • इस दिन व्रत करने वाले श्रद्धालु फलाहार का सेवन करें।
  • शराब और मांसाहारी भोजन करने की अनुमति नहीं होती है। इस दिन विलासिता और सुख-सुविधाओं से दूर रहना चाहिए।
  • इस दिन गरीबों को दान भी दें।
  • भारत के कुछ क्षेत्रों में जौ के बीज बोने की भी परंपरा होती है। इन्हें जवारे कहा जाता है। जब बीज 3 इंच तक की औसत ऊंचाई तक बढ़ जाते हैं, तब देवी दुर्गा को यह चढ़ाये जाते हैं।
  • इस दिन दुर्गा चालीसा अथवा दुर्गा सप्तशती पाथ का अध्ययन करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –

1. मासिक दुर्गा अष्टमी का महत्व क्या है ?

यह व्रत करने से माँ दुर्गा से समृद्धि, सफलता और शांति का वरदान मिलता है।इस व्रत का पालन करने से साधक क्रोध, अहंकार, आत्म-केन्द्रित आदि अवगुणों का त्याग कर देता है।

2. दुर्गा अष्टमी तिथि कब है ?

प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गा अष्टमी का उपवास किया जाता है। इस प्रकार हर माह में एक दुर्गा अष्टमी आती है।

3. शुक्ल अष्टमी के दिन अस्त्र पूजन क्यों की जाती है ?

दुर्गा अष्टमी के दिन शस्त्र पूजा का आयोजन किया जाता है। माँ दुर्गा के वीरतापूर्ण कार्यों के सम्मान में हथियारों की पूजा की जाती है।

4. दुर्गा अष्टमी के दिन कन्या पूजन का क्या महत्व है ?

उत्तर भारत में दुर्गा अष्टमी के दिन कन्या पूजन का उत्सव मनाया जाता है। हिंदू धर्म में कन्या को देवी दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। इसलिए इस दिन छोटी लड़कियों को घर पर आमंत्रित करके उन्हें भोजन कराया जाता है। लड़कियों के पैर धोये जाते हैं। फिर माथे पर तिलक लगाकर उन्हें भेंट दी जाती है।

5. मासिक दुर्गाष्टमी के व्रत के नियम क्या हैं ?

अन्य व्रतों की तरह इस दिन भी फलाहार का सेवन किया जाता है। इस दिन शराब और मांसाहारी भोजन से दूर रहना चाहिए। साथ ही विलासिता और सुख-सुविधाओं से भी मन को दूर रखना चाहिए।

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Yashika Gupta

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