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जगन्नाथ यात्रा में गुंडिचा यात्रा का क्या महत्व है और रथ की तैयारी कैसे की जाती है ?

By June 25, 2022November 23rd, 2023No Comments
Jaggannath Yatra Me Gudicha Yatra

जगन्नाथ यात्रा में गुंडिचा यात्रा का महत्व-

गुंडिचा यात्रा, जगन्नाथ यात्रा में सबसे मुख्य यात्रा मानी जाती है। यह यात्रा गुंडिचा मंदिर से प्रारम्भ होती है। गुंडिचा मंदिर में जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी की मूर्ति विश्वकर्मा जी ने स्थापित की थी। गुंडिचा मंदिर को ब्रह्मलोक और जनकपुर भी कहा जाता है। यह मंदिर कलिंग वास्तुकला में बना है। जगन्नाथ यात्रा के दौरान इस मंदिर में भगवान रहते हैं। इसी कारण जगन्नाथ यात्रा में गुंडिचा यात्रा का अत्यधिक महत्व है। यात्रा के दौरान गुंडिचा महोत्सव का आयोजन किया जाता है।

जगन्नाथ मंदिर और गुंडिचा मंदिर में संबंध-

भारत के चार मुख्य पवित्र धामों में जगन्नाथ मंदिर एक है। यह मंदिर उड़ीशा के पुरी में स्थित है। इस जगह को जगन्नाथ की पावन नगरी के नाम से भी जाना जाता है। जगन्नाथ मंदिर में प्रत्येक वर्ष जगन्नाथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। यह यात्रा गुंडिचा मंदिर से होकर जाती है। जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गुंडिचा मंदिर, जगन्नाथ जी की मौसी गुंडिचा के नाम पर बनवाया गया था। हिन्दू धर्म के अनुसार जगन्नाथ यात्रा में जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा मंदिर में आते हैं। गुंडिचा जी स्वागत करती हैं।
हिन्दू मान्यता के अनुसार माना जाता है। जगन्नाथ मंदिर के दर्शन अवश्य करना चाहिए। मंदिर के दर्शन से पुण्य की प्राप्ति होती है।

कैसे की जाती है यात्रा के रथ की तैयारी-

पुराणों के अनुसार गुंडिचा यात्रा के रथ की तैयारी ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से प्रारंभ हो जाती है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में नाशनी तीज पड़ती है। इस तीज में रोहिणी नक्षत्र का योग बनता है। तब एक आचार्य को रखा जाता है। इसके पश्चात बढ़ई से तीन रथ तैयार करवाए जाते हैं। जिसमे भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी के रथ होते हैं। यह रथ बहुत ही सुन्दर बनाये जाते हैं। इसके बाद इन रथों का शास्त्रोक्त विधि से पूजन किया जाता है। जिस जगह से यह यात्रा निकलती है। उस मार्ग की सफाई कराई जाती है।

फूलों के गुच्छे और फूलों का मंडल मार्ग के चारों ओर लगाया जाता है। मार्ग की भूमि को ठीक कर देना चाहिए। ताकि रथ को चलाने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो। मार्ग के दोनों ओर सुगंधित धूपबत्ती जलायी जाती है। यात्रा के दौरान नगाड़ा और अन्य वाद्य यंत्र को बजाया जाता है। मान्यता यह है कि यात्रा के समय सोने और चांदी के स्तंभ पर पताकाएँ फहराई जाती हैं।

यात्रा का आवाहन-

जिस तिथि में पुष्य नक्षत्र होता है। या आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की तिथि को सूर्योदय के समय भगवान का पूजन किया जाता है। इसके पश्चात भगवान जगन्नाथ से निवेदन किया जाता है। गुंडिचा मंडप से रथ यात्रा करें। आपके आशीर्वाद से समस्त प्राणी का कल्याण हो। भगवान जगन्नाथ की कृपा दृष्टि से सभी दिशाएं पवित्र हो जाएँ। इसके पश्चात लोग मंगल गीत गाते हैं। भगवान जगन्नाथ की यात्रा का प्रारम्भ होता है। वाद्य यंत्रों को मधुर रूप से बजाया जाता है।

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Jaya Verma

About Jaya Verma

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