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क्या लिवर रोग के पीछे कोई ज्योतिषीय कारण होते हैं ?

By December 10, 2022December 4th, 2023No Comments
astrological causes behind liver disease

चिकित्सकों का मानना है कि एक स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ लिवर होना आव्यशक है। लिवर को हिंदी में यकृत कहा जाता है। यह अग्नाशय यानि कि पैनक्रियाज के नजदीक स्थित होता है। पाचन प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलने में लिवर का महत्वपूर्ण योगदान होता है। अतः कमज़ोर लिवर से पाचन तंत्र प्रभावित होता है और परिणामस्वरुप स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। कुल-मिलाकर लिवर रोग एक कष्टदायी बीमारी होती है।
आइये इन्स्टाएस्ट्रो के ज्योतिष से जानते हैं लिवर रोग के ज्योतिषीय कारण, लिवर रोग के लिए ज़िम्मेदार अशुभ ग्रह दशा और लिवर रोग ठीक करने के ज्योतिषीय उपाय।

लिवर का ज्योतिष विद्या से संबंध –

मानव शरीर में यकृत पेट में दाहिनी ओर स्थित होता है। इसलिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जातक की कुंडली में पंचम भाव पर लिवर का अधिकार क्षेत्र होता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर हो, तो उसे लिवर, पीलिया, मोटापा, कैंसर और मधुमेह से संबंधित रोग होने की संभावना होती है।

Liver related to astrology

जानें क्या हैं लिवर रोग के ज्योतिषीय कारण ?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यकृत और अग्नाशय पर बृहस्पति ग्रह शासन करता है। अतः यदि जातक की कुंडली में बृहस्पति पीड़ित हो, तो लिवर रोग से पीड़ित होने की आशंका बढ़ जाती है। और ये दोनों अंग कुंडली के पंचम भाव में आते हैं। इसलिए मान्यता है कि नवां और पांचवां भाव लिवर से संबंधित बीमारी के लिए जिम्मेदार होते हैं।
राशि चक्र के अनुसार सिंह और धनु राशि के जातकों को ये रोग होने की सम्भावना अधिक होती है।

लिवर रोग से संबंधित कुंडली के अशुभ योग –

  • कुण्डली में ऐसे कई गंभीर और अशुभ योग होते है जिनके कारण लिवर में रोग उत्पन्न होता है। आइये जानते हैं –
  • कुंडली के छठे, आठवें और बारहवें भाव में  की उपस्थिति से लिवर की समस्या उत्पन्न होती हैं।
  • कुंडली के छठे, आठवें या बारहवें भाव में शनि और मंगल की पीड़ा होने से लिवर की बीमारी हो सकती है।
  • यदि कुंडली के पंचम या नवम भाव के स्वामी की युति शनि, मंगल, राहु या केतु के साथ हो, तब लिवर संबंधित बीमारियों की आशंका होती है।
  • यदि बृहस्पति ग्रह शनि की दृष्टि से पीड़ित हो, तो लिवर रोग होना तय होता है।
  • कुंडली के पंचम भाव का स्वामी छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो और किसी क्रूर ग्रह से पीड़ित हो, तो लिवर रोग गंभीर रूप ले लेगा।

Kundli related to liver disease

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अशुभ ग्रह दशा के कारण होने वाले रोग –

नवग्रहों में प्रत्येक ग्रह का मानव शरीर से संबंध होता है। इन ग्रहों की स्थति जब बदलती है, तब जातक को कई प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। ग्रहों की अशुभ दशा से कई रोग हो सकते हैं। आइये जानते हैं –

सूर्य ग्रह हड्डियों का कारक ग्रह माना जाता है। मानव शरीर में पेट, दाहिनी आंख, हृदय, त्वचा, सिर और जोड़ों पर सूर्य ग्रह शासन करता है। यदि सूर्य की दशा कमजोर हो तो जातक को स्वास्थ्य जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। सूर्य की दशा और अन्तर्दशा से बुखार, मानसिक बीमारी और पुराने रोगों का पुनरावर्तन भी हो सकता है।

Surya Greh

चंद्र ग्रह मन और हृदय का कारक ग्रह माना जाता है। चंद्रमा मानव शरीर में हृदय, फेफड़े, बायीं आँख, स्तन, मस्तिष्क, रक्त और आंतों पर शासन करता है। यदि चंद्रमा कमजोर स्थिति में हो तो ये लक्षण दिखाई देते हैं – नींद न आना, बुद्धि की कमी, दमा और रक्त संबंधी समस्याएं। कमजोर चंद्रमा से मधुमेह, मासिक धर्म, अपेंडिक्स, फेफड़े के विकार, आदि समस्याएं हो सकती हैं।

मंगल ग्रह के शाषण में ऊर्जा, गर्दन, नसें, गर्दन, लाल रक्त कोशिकाएं, गुदा तथा स्त्री अंग आता है। मंगल के पीड़ित होने पर मस्तिष्क विकार, विषाक्तता, आंखों में दर्द, खुजली, खून का थक्का जमना, स्त्री रोग, ट्यूमर, बवासीर, छाले, आदि रोग होते हैं।

Mars Planet

बुध ग्रह छाती, तंत्रिका तंत्र, त्वचा, नाभि, नाक, पित्ताशय, नसों, फेफड़ों, जीभ, चेहरे और बालों का कारक ग्रह होता है। यदि कुंडली में बुध कमजोर हो तो मांसपेशियों और छाती से संबंधित समस्याएं उत्पन्न होती हैं। बुध पीड़ित होने के कारण जातक को पीलिया, हैजा, चक्कर आना आदि रोगों का सामना करना पड़ता है।

बृहस्पति ग्रह का शाषण जांघों, वसा, मस्तिष्क, यकृत, गुर्दे, फेफड़े, कान, जीभ, स्मृति पर होता है। कमजोर बृहस्पति के कारण कान, जीभ, याद्दाश्त और पैनक्रियाज से संबंधित रोग हो सकते हैं। बृहस्पति मुख्य रूप से यकृत रोग के लिए ज़िम्मेदार होता है।

Saturn Planet

शुक्र ग्रह मुख, आंखों की रोशनी, मूत्र, वीर्य, ​​तेज और कांति, कंठ और ग्रंथियों का कारक ग्रह माना जाता है।
शुक्र दृष्टि का कारक होता अहि अतः पीड़ित शुक्र से नेत्र विकार होने की संभावना होती है। कमजोर शुक्र के कारण गले के रोग, नपुंसकता, गठिया, खून की कमी आदि रोग हो सकते हैं।

शनि ग्रह को पैरों, जोड़ों की हड्डियों, मांसपेशियों, दांतों, कान, घुटने आदि का कारक ग्रह माना जाता है।
कुंडली में पीड़ित शनि से शारीरिक कमजोरी, कमज़ोर मांसपेशियां, पेट में दर्द, अंगों में चोट लगना, अंधापन, बालों का रूखा होना, बहरापन आदि हो सकता है।

Jupiter Planet

राहु ग्रह श्वास, गर्दन, फेफड़े आदि का कारक ग्रह होता है। जातक की कुंडली में पीड़ित राहु से मोतियाबिंद, छाले, हकलाना, आदि रोग होने की संभावना बद्घ जाती है। राहु की कमज़ोर स्थिति के कारण कैंसर भी हो सकता है। .

केतु ग्रह उदर(पेट) और पंजों का कारक ग्रह माना जाता है। केतु की कमज़ोर स्थिति से फेफड़े, बुखार आदि से संबंधित रोग भी हो सकते हैं। पीड़ित केतु के कारण ये रोग हो सकते हैं – आंत में कीड़े, कान की समस्या, नेत्र विकार, पेट दर्द आदि। केतु के कारण कुछ रहस्यमयी रोग भी हो सकते हैं जिनका कारण पता नहीं चल पाता है।

Budhwar Bhagwan

नवग्रहों से जुड़े रोगों के लिए आसान ज्योतिषीय उपाय –

ज्योतिष शास्त्र में हर समस्या का समाधान बताया गया है। अतः हर रोग के निवारण के लिए कुछ उपाय भी बताये गए हैं। आइये पढ़ते हैं –

सूर्य ग्रह के लिए उपाय –

गरीब और बेसहारा रोगियों की सेवा करें।
प्रातःकाल सूर्य देवता को अर्घ्य दें। और इस मंत्र का 108 बार जाप करें – “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः”
सूर्य देव से संबंधित वस्तुओं का दान दें और सूर्य ग्रह शांति पूजा करवाएं।

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चंद्रमा ग्रह के लिए उपाय –

प्रतिदिन शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं और अभिषेक करें।
ध्यान और योग करें। इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें – “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः” ।
चंद्र ग्रह से संबंधित सफ़ेद चीजों का दान करें जैसे चावल, दूध, दही आदि।

मंगल ग्रह के लिए उपाय –

मंगलवार के दिन मंदिर जाएं और हनुमान जी को मिठाई का भोग लगाएं।
मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर में बजरंग बाण का पाठ करें। तथा मंगल ग्रह के बीज मंत्र का जाप करें – “ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नमः”।
बंदरों को केला खिलाएं और हर महीने कम से कम एक बार रक्तदान करें।
अपने साथ लाल रुमाल रखें।

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बुध ग्रह के लिए उपाय –

हरे रंग के कपड़े पहने। तथा घर की महिलाओं को हरे रंग की वस्तुएं भेंट करें।
भगवान विष्णु या गणेश जी की पूजा करें।
गाय को रोटी और हरी पालक खिलाएं।
गरीब छात्रों को शिक्षा की सामग्री दान स्वरूप दें।
बुध ग्रह के मंत्र का जाप करें – “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः”।

बृहस्पति ग्रह के लिए उपाय –

गुरुवार के दिन पीले रंग के कपडे पहने।
केले का पेड़ लगाएं और उसकी सेवा करें।
गाय को चने की दाल खिलाएं।
बृहस्पति ग्रह के बीज मंत्र का 108 बार जाप करें – “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः” ।

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शुक्र ग्रह के लिए उपाय –

चमकदार रंग के वस्त्र पहनें।
देवी दुर्गा या माता लक्ष्मी की पूजा करें।
शुक्रवार के दिन व्रत करें।
कन्याओं को मिठाई बांटकर उनका आशीर्वाद लें।
शुक्र ग्रह के बीज मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें – ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।

शनि ग्रह के लिए उपाय –

प्रतिदिन काले कुत्ते को खाना खिलाएं।
मांसाहारी भोजन, मदिरा, जुआ आदि से बचना चाहिए।
घर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
हर शनिवार को शनि मंदिर में शनिदेव की मूर्ति को सरसों का तेल चढ़ाएं और शनि के बीज मंत्र का जाप करें – “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः ”।
उंगली में लोहे की अंगूठी पहनें।

Feed The Dog

राहु ग्रह के लिए उपाय –

तांबे के बर्तनों का दान करें।
रविवार के दिन तांबे के कलश में गेहूं या गुड़ रखकर नदी में प्रवाहित कर दें।
गले में चांदी की चेन पहनें।
बहते पानी में चांदी के सांपों की एक जोड़ी प्रवाहित कर दें।
राहु के बीज मंत्र का जाप करें – “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः”।

केतु ग्रह के लिए उपाय –

भूरे रंग के वस्त्र पहनें।
छोटे बच्चों को मिठाई अथवा फल बांटे।
9 मुखी रुद्राक्ष को धारण करें।
केतु ग्रह के बीज मंत्र का जाप करें – “ ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः ” ।

Wear brown clothes

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –

1. लिवर का ज्योतिष विद्या से क्या संबंध है?

मानव शरीर में लिवर पेट के दाहिनी ओर स्थित होता है। इसलिए कुंडली में पंचम भाव पर लिवर का अधिकार क्षेत्र होता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर हो, तो उसे लिवर से संबंधित रोग होने की संभावना होती है।

2. क्या हैं लिवर रोग के ज्योतिषीय कारण?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लिवर पर बृहस्पति ग्रह शासन करता है। यदि कुंडली में बृहस्पति पीड़ित हो, तो लिवर रोग होने की आशंका बढ़ जाती है। और लिवर कुंडली के पंचम भाव में आता है। इसलिए मान्यता है कि नवां और पांचवां भाव लिवर रोग के लिए जिम्मेदार होते हैं।

3. क्या है लिवर रोग से संबंधित कुंडली के अशुभ योग?

कुण्डली में कुछ अशुभ योग से लिवर रोग का पता लगाया जा सकता है – कुंडली के छठे, आठवें या बारहवें भाव में बृहस्पति की उपस्थिति से लिवर की समस्या हो सकती हैं। इसी प्रकार कुंडली के छठे, आठवें या बारहवें भाव में शनि और मंगल की पीड़ा होने से भी लिवर की बीमारी हो सकती है।

4. अशुभ ग्रह दशा से कैसे हो सकता है लिवर रोग?

मानव शरीर में लिवर पर बृहस्पति का शाषण होता है। अतः मुख्य रूप से बृहस्पति की कमज़ोर स्थति ही यकृत रोग के लिए ज़िम्मेदार होती है। बृहस्पति ग्रह जब पीड़ित होता है तब लिवर संबंधित रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

5. लिवर रोग से बचने के लिए ज्योतिषीय उपाय क्या हैं ?

गुरुवार के दिन पीले रंग के कपडे पहने। अपने घर एक पास केले का पेड़ लगाएं और उसकी सेवा करें। प्रतिदिन गाय को चने की दाल खिलाएं। बृहस्पति ग्रह के बीज मंत्र का 108 बार जाप करें – “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः”। बृहस्पति ग्रह के इन उपायों का पालन करने से लिवर रोग से बचा जा सकता है।

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Yashika Gupta

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