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जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: जानें जगन्नाथ रथ यात्रा की तिथि और महत्व।

By June 15, 2025June 17th, 2025No Comments
Jaggannath Rath Yatra

हिन्दू धर्म में जगन्नाथ यात्रा को महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। जगन्नाथ यात्रा को पुरी यात्रा और रथ महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। भगवान जगन्नाथ को भगवान विष्णु जी के अवतार माने जाते हैं। यह रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ को समर्पित है। इस यात्रा में दस लाख से अधिक तीर्थयात्री सम्मिलित होते हैं।

जगन्नाथ यात्रा की मान्यता यह है कि अगर इस यात्रा में जो शामिल होता है। वह व्यक्ति जन्म और मृत्यु चक्र से मुक्त हो जाता है।जगन्नाथ यात्रा में रथ की एक झलक को पाने के लिए लोग तरसते हैं।

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 की तिथि और समय-

हिन्दू पंचांग के अनुसार, जगन्नाथ यात्रा को प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि से प्रारम्भ होती है। वर्ष 2025 में जगन्नाथ यात्रा आरम्भ होने की तिथि 26 जून  2025 दिन गुरुवार को सुबह 1 बजकर 25 मिनट पर है। जगन्नाथ यात्रा समाप्त होने का समय 27 जून 2025 को सुबह 11 बजकर 19 मिनट पर है।

जगन्नाथ रथ यात्रा की मान्यताएँ:

  • जगन्नाथ रथ की एक झलक अत्यधिक शुभ मानी जाती है।
  • इस पर्व को अनेक नाम से जाना जाता है। गुंडिचा यात्रा, घोसा यात्रा, दशावतार यात्रा और नवादिना यात्रा।
  • जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन पुरी, उड़ीशा में किया जाता है।
  • जगन्नाथ यात्रा को सिर्फ भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इ
  • स यात्रा के एक दिन पहले जगन्नाथ यात्रा में सम्मिलित भक्त के द्वारा गुंडिचा मंदिर को धुला जाता है। यह परंपरा गुंडिचा मार्जन कहलाती है।
  • जगन्नाथ मंदिर प्रमुख चार पवित्र धामों में से एक है।
  • भगवान जगन्नाथ के रथ को गरुड़ ध्वज और नदी घोष के नाम से जाना जाता है।

जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी पौराणिक कथा-

इस यात्रा से जुड़ी कई कथाएं हैं। आज हम आपको बताएंगे उनमे से एक कथा। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार गोपियों ने रोहिणी माता से कृष्ण की लीला के बारे में जानने के लिए निवेदन किया। उस समय सुभद्रा भी थी। सुभद्रा के सामने कृष्ण की रास लीला के बारे में बताना रोहिणी को उचित नहीं लगा। इसलिए रोहिणी ने सुभद्रा को बाहर भेज दिया और बोला। अंदर किसी को मत आने देना। श्री कृष्ण और बलराम सुभद्रा के पास आ गए। रोहिणी की बातों को गौर से सुनने लगे। इसी समय नारद मुनि ने तीनों भाई- बहनों को एक साथ देख लिया। तब नारद जी तीनों को इसी रूप में दैवीय दर्शन के लिए कहा। श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा ने इस आग्रह को स्वीकार करते हुए। इसी रूप में दर्शन दिए। अतः जगन्नाथ मंदिर में इसी रूप में श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा के दर्शन होते हैं।

जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व-

  • हिन्दू धर्म में जगन्नाथ यात्रा का अत्यधिक महत्व है।
  • जगन्नाथ यात्रा नौ दिन तक चलती है। इस पर्व में सम्मिलित होने से व्यक्ति की परेशानियां दूर होती है।
  • जगन्नाथ रथ यात्रा से प्राप्त पुण्य 100 यज्ञों से प्राप्त पुण्य के बराबर होता है।
  • इस समय पूजा से कई तरह उपाय किये जाते हैं।
  • जिससे भगवान जगन्नाथ खुश होते हैं। भक्तों की परेशानियों को जड़ से समाप्त करते हैं।
  • जगन्नाथ रथ यात्रा को जगन्नाथ मंदिर से आरम्भ होकर गुंडिचा मंदिर पर समाप्त होती है।
  • गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ सात दिनों तक आराम करते हैं।
  • इसके पश्चात मंदिर में वापस आ जाते हैं।
  • जगन्नाथ रथ यात्रा में सम्मिलित होने भक्तों के सारे दुख दूर होते हैं।

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Jaya Verma

About Jaya Verma

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