Get App
HindiMythological Stories

जानें गणेश जी का एक दांत टूटने का रहस्य।

By September 6, 2022December 1st, 2023No Comments
Ganesh ji , Sage Vyasa , mahabharat

गणेश जी भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। शुभ कार्यों में गणेश जी की पूजा सर्वप्रथम होती है। गणेश जी का विवाह विश्वकर्मा जी की पुत्रियों रिद्धि और सिद्धि से हुआ था। गणेश जी के दो पुत्र हैं। जिनका नाम शुभ और लाभ है। शुभ कार्यों और पूजा के दौरान शुभ और लाभ लिखते हैं। यह गणेश जी के दोनों पुत्रों शुभ और लाभ का प्रतीक होता है। गणेश जी को कई नामों से जाना जाता है। गणेश जी के 12 प्रमुख नाम हैं। कपिल,सुमुख, लंबोदर, गजकर्ण, विकट, विग्घ्रनाश,धूमकेतु,भालचंद्र, गजानन, गणाध्यक्ष,विनायक और एकदंत।
आज हम आपको बताएँगे, महर्षि वेदव्यास और गणेश जी की कहानी, गणेश जी का एक दांत कैसे टूटा? कैसे भगवान गणेश बने एकदंत?

Ek datta Ganesh bhagwan

ज्योतिष के अनुसार गणेश जी के बारे में-

  • गणेश जी को ज्योतिष शास्त्र में केतु के नाम से जाना जाता है।
  • केतु ग्रह, राहु ग्रह का विरोध करता है। क्योंकि केतु एक छाया ग्रह है।
  • कहा जाता है विरोध के बिना ज्ञान संभव नहीं है और बिना ज्ञान के मुक्ति संभव नहीं है।
  • भगवान गणेश जी कण- कण में विधमान हैं।

यह भी पढ़ें: जानें गणेश जी के चमत्कारी नाम

ved Vyasa

महर्षि वेदव्यास और गणेश जी की कहानी-

भगवान गणेश जी के एक दांत टूटने कहानियां प्रचलित है। आज हम आपको बताएंगे महर्षि वेदव्यास और गणेश जी की कहानी। हम सभी जानते हैं, महाभारत ग्रंथ ऋषि व्यास जी द्वारा रचित है। महर्षि व्यास चाहते थे कि महाभारत लिखने में कोई उनकी मदद करें। इसलिए महर्षि ने मदद के लिए गणेश जी से अनुरोध किया। गणेश ने अनुरोध को स्वीकार कर लिया। लेकिन गणेश जी ने महर्षि व्यास के सामने एक शर्त रखी। महर्षि व्यास जी को तेजी से पाठ करने को कहा तभी गणेश जी महाभारत लिखेंगे।

Ganesh ji

गणेश जी के एक दांत टूटने का रहस्य-

गणेश जी ने महाभारत लिखना शुरू किया। महर्षि वेदव्यास तेजी गति से बोल रहे थे। गणेश जी उतनी ही अधिक गति से लिख रहे थे। यह सिलसिला चलता ही जा रहा था। एक ऐसा समय आया जब लिखते-लिखते गणेश जी की कलम टूट गयी। तब गणेश जी ने अपनी शक्तियों से व्यास जी की बौद्धिक क्षमता को कम कर दिया। इसके पश्चात गणेश जी ने अपने एक दांत को तोड़कर स्याही में डुबो दिया। पुनः लिखना आरंभ कर दिया था। तबसे गणेश जी एकदंत के नाम से भी जाने जाते हैं। इस प्रकार महाभारत में गणेश जी का योगदान था।
ज्योतिष के अनुसार गणेश जी केतु ग्रह के प्रतीक हैं। इसलिए कुंडली में केतु का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। जिससे हमारे जीवन में शुभ और अशुभ परिणाम होते हैं। अगर आप भी अपनी कुंडली में केतु का स्थान जानना चाहते हैं तो इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से बात करें यह आपको आपकी कुंडली के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे।

यह भी पढ़ें: जानें कैसे मेघनाद लक्ष्मण के दामाद थे?

इस प्रकार की अधिक जानकारी के लिए इंस्टाएस्ट्रो के साथ जुड़े रहें और हमारे लेख जरूर पढ़े।

Get in touch with an Astrologer through Call or Chat, and get accurate predictions.

Jaya Verma

About Jaya Verma

I love to write, I participated as co-author in many books, also received prizes at national level for writing article, poetry and I got a letter of appreciation from hirdu foundation. I have 4 year of experience in this field.